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अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सब के दाता राम' यह दोहा रीतिकाल के महान संत और कवि मलूक दास का है. इस दोहे का अर्थ है कि ईश्वर ही सबका पालनहार है, इसलिए कोई भी काम न करने पर भी ईश्वर जीवन यापन की व्यवस्था कर देते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि मनुष्य को आलसी होना चाहिए और कुछ भी नहीं करना चाहिए. इसका मतलब है कि मनुष्य को ज़रूरत से ज़्यादा चिंता और लालच में नहीं पड़ना चाहिए. 
इस ग्रन्थ का प्रकाशन श्री मलूक्पीठ प्रकाशन के द्वारा हुआ है एवं इस ग्रन्थ के लेखक श्री रामस्वरूप दास पाण्डेय जी है पूज्य श्री राजेंद्र दास जी महाराज के श्री पिता जी !!
ग्रन्थ हिंदी भाषा में है !
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Sant Malook Das Natak संत मलूक दास नाटक

₹100.00Price
Weight: 194gm
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