top of page

"Shastro me anek vikalp hai" "शास्त्रों में अनेक विकल्प है"

Writer: Dasabhas DrGiriraj NangiaDasabhas DrGiriraj Nangia

शास्त्रों में अनेक विकल्प है


सृष्टि का एक आधारभूत गुण है विविधता । सृष्टि में विविध प्रकार के व्यक्ति हैं , विविध प्रकार के फूल हैं । विविध प्रकार के पेड़ हैं । विविध प्रकार की सब्जियां हैं । अनेक प्रकार के भोजन हैं ।इसी प्रकार अनेक प्रकार के साधन भी हैं । शास्त्र में नवविधा नौ प्रकार की भक्ति का वर्णन है और साथ ही यह भी कहा गया है कोई सी भी एक प्रकार की भक्ति यदि श्रद्धा और भाव से की जाए तो वह लक्ष्य को प्राप्त करा देती है ।इसका भाव यह है कि यदि हमें श्रवण में रुचि है तो हम श्रवण में लग जाएं हमें लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा ।दूसरे किसी व्यक्ति की यदि नाम में रुचि है वह नाम में लग जाए लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा मानवीय स्वभाववश हम जिस साधन को चुनते हैं हम चाहते हैं वही श्रेष्ठतम है और दूसरा भी हमारे वाले साधन में लग जाए ।

सियाराम मय सब जग जानी
सियाराम मय सब जग जानी

लेकिन ऐसा जब होता नहीं है तो अपने साधन को लेकर भी हम मान अपमान राग दवेश की उत्पत्ति हो जाती है ।हमें इस से बचना चाहिए । हमें जो रुचिकर है हम वह करें और दूसरे को जो रुचिकर है वह दूसरा करें ।उसके प्रति भी यही भाव रहना चाहिए कि जिस प्रकार हमारी श्रवण में रुचि है उसी प्रकार उसकी नाममें दृढ़ रुचि हो और मेरी तरह वह भी अपने साध्य श्री कृष्ण चरण सेवा को प्राप्त करें । साध्य साधन के विषय में उलझना या अपने साधन को श्रेष्ट बताना दूसरे को निकृष्ट बताना यह अज्ञानतावश ही है ।शास्त्र में कहे गए सभी साधन परिपूर्ण है श्रेष्ठ है और शास्त्र में हमें चुनने के लिए विकल्प दिए हैं किसी एक को अपनी रुचि के अनुसार चुनो और आगे बढ़ो तो निश्चित ही एक दिन हम होंगे कामयाब


समस्त वैष्णव वृंद को दासाभास का प्रणाम ।

।। जय श्री राधे ।।

।। जय निताई ।। लेखक दासाभास डॉ गिरिराज

धन्यवाद!! www.shriharinam.com संतो एवं मंदिरो के दर्शन के लिये एक बार visit जरुर करें !! अपनी जिज्ञासाओ के समाधान के लिए www.shriharinam.com/contact-us पर क्लिक करे।

Comments


bottom of page