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Writer's pictureDasabhas DrGiriraj Nangia

"Saheli ki Mrityu" "सहेली की मृत्यु"

सहेली की मृत्यु

श्रीहरिबाबा के पास एक मुम्बई की महिला भजन शिक्षा, दर्शन आदि के लिए आती रहती थीऔर प्रभु प्रेम कैसे मिले ? यह पूछती रहती थी ।एक बार कदाचित् हरिबाबा उसकी एक सहेली के आमन्त्रण पर मुंबई गये और तीन दिन तक वहाँ सत्संग चला।इस सत्संग की सूचना उस महिला को भी थी।लेकिन वह सत्संग में नहीं आयी।

"Saheli ki Mrityu" "सहेली की मृत्यु"
"Saheli ki Mrityu" "सहेली की मृत्यु"

पुनः कुछ दिन बाद मिलने पर बाबा ने पूछा- बेटीतुम्हारे नगर में, तुम्हारी सहेली के घर सत्संग था,तुम नहीं आयी ?महिला ने कहा- बाबा मेरे पति बाहर गये थे, मेरा घर वहाँ से काफी दूर था, इसलिए अकेली कैसे आती? बाबा ने कहा- यदि तुम्हारी उस सहेली की मृत्यु की खबर तुम तक पहुँचती तो भी तुम ऐसी स्थिति में वहाँ नहीं पहुँचती ? महिला ने कहा- बाबा फिर तो कैसे भी पहुँचती । बाबा ने कहा- जिस दिन सत्संग, भजन को भी तुम इतना महत्व दे दोगे, उस दिन तुम प्रभु प्रेम पा जाओगे ।


समस्त वैष्णव वृंद को दासाभास का प्रणाम ।

।। जय श्री राधे ।।

।। जय निताई ।।

लेखक दासाभास डॉ गिरिराज

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