अतिवादिता
यह बात केवल whatsapp या social media पर ही लागू नहीं होती है। यह बात हमारी समस्त क्रियाओं पर लागू होती है । हम में से कुछ लोग केवल धन धन धन कमाने में ही लगे रहते हैं कुछ लोग कर्जा ले लेकर धन खर्च करने में ही लगे रहते हैं कुछ लोग मान प्रतिष्ठा में लगे रहते हैं कुछ लोग स्वाद में लगे रहते हैं सब करना है कुछ भी मना नहीं है लेकिन सीमा में अति सर्वत्र वर्जये त्मशीन या कंप्यूटर या whatsapp या मोबाइल तभी बुरा है जब उसके चक्कर में हम अपने दैनिक दायित्वों को भूल जाए अथवा वह हमारे जीवन पर इतना हावी हो जाए कि हमारा जीवन अस्तव्यस्त हो जाए
अतः अति सर्वत्र वर्जयेत् ना अति भोजन ना अति शयन ना अती कार्य न अति परिश्रम ना अती घूमना ना अती अंतरंग अति सर्वत्र वर्जयेत् संतुलन में यदि सब होता रहेगा तो कोई भी चीज कोई भी परिस्थिति हमें हानि नहीं पहुंचा सकती अपितु उन सब साधनों से हमें लाभ होता रहेगा
समस्त वैष्णव वृंद को दासाभास का प्रणाम ।
।। जय श्री राधे ।।
।। जय निताई ।। लेखक दासाभास डॉ गिरिराज
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