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"Kripa" "कृपा"

Writer's picture: Dasabhas DrGiriraj NangiaDasabhas DrGiriraj Nangia

कृपा


एक अध्यापक कभी नहीं चाहता कि उसके क्लास का एक भी बालक फेल हो, अपितु वह यह चाहता है की सभी अधिकाधिक नंबर प्राप्त करें ।लकिन उसके चाहने से कुछ नहीं होता विद्यार्थियों का परिश्रम ही उसका कारण बनता है ।जो जितना परिश्रम करता है, जो जितने लगन से पड़ता है, उसको उसकी परिश्रम लग्न एवं योग्यता के अनुसार अंक प्राप्त होते हैं ।इसी प्रकार कोई भी गुरु देव नहीं चाहते कि मेरा शिष्य भगवत भजन में असफल हो । वे तो यही चाहते हैं कि सभी परम भक्त बन जाए लेकिन न ऐसा नहीं होता । जो वैष्णव, जो शिष्य जितना भजन में इनपुट देते हैं वह उसी स्तर के भक्त बनते हैं ।

"Kripa" "कृपा"
"Kripa" "कृपा"

अतः कृपा प्राप्ति के लिए आवश्यक है परिश्रम हम जितना परिश्रम करते हैं जितना इनपुट देते हैं, उतनी ही कृपा हमें प्राप्त होती है ।कपा ना तो गुरुदेव के वश में है । ना भगवान के ही वश में है । कृपा का साक्षात स्वरुप है श्री राधा रानी ।और श्री राधा रानी के चरणों की सेवा करते रहते हैं श्रीशाम सुंदर । अतः हम अधिक से अधिक साधन करते हुए भजन में लगे ।जितने अधिक लगेंगे उतनी अधिक कृपा होगी और जितनी अधिक कृपा होगी उतने ही शीघ्र हम अपने जीवन के उद्देश्य प्रिया प्रीतम के चरणों की सेवा को प्राप्त कर लेंगे ।अतः सावधान कृपा यदि नहीं हो रही है तो कमी गुरुदेव या भगवान की नहीं हमारे ही प्रयास और परिश्रम में कमी है । और प्रयास करें, और परिश्रम करें । कृपा तो प्राप्त होनी ही है होगी ही

।समस्त वैष्णव वृंद को दासाभास का प्रणाम ।

।। जय श्री राधे ।।

।। जय निताई ।। लेखक दासाभास डॉ गिरिराज

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